हिंदू धर्म में सभी जीवो की रक्षा करने की होती है प्रवृत्ति: जैन मुनि

बरकट्ठा: हिन्दू धर्म मे संस्कार है कि सभी तरह के जीवों की रक्षा करने की प्रवृत्ति होनी चाहिए। पहले यह प्रवृत्ति थी लेकिन अब लोग भटक गए हैं। उक्त बातें झारखंड के पारसनाथ और कोलकाता से दो वर्षावास कर गुजरात लौटने के क्रम में बरकट्ठा स्थित दिव्य कल्याण आश्रम में प्रवास के क्रम में जैन मुनि हर्ष तिलक सुरेश्वर जी महाराज साहेब ने कही। उन्होंने कहा कि मनुष्य की शक्ति सभी जीवों से ज्यादा है। मनुष्य को शक्ति पहचानने होंगे। मनुष्य तन कम समय का है। बेहतर कर्म करें। यह देश परमात्मा का विचरण स्थल है। लोंगो में जीवों के प्रति हमदर्दी लुप्त हो चुका है। हिन्दू धर्म भटक चुका है भ्रमित हो चुका है। जीवों के प्रति ध्यान रखना चाहिए। दूसरे जीवों की हिंसा कर मनुष्य के पेट मे नहीं जाना चाहिए। जीव हत्या हिन्दू समाज के लिए कलंकित है। हिन्दू समाज सभी जीवों की रक्षा के लिए है। यह भूमि भगवान महावीर, बुद्ध, राम कृष्ण की धरती है। छोटे जीव की रक्षा करें। सृष्टि के अंदर सभी जीव अपनी रक्षा करता है। मनुष्य को भी सभी जीवों की रक्षा करना चाहिये। पेट हमारा कब्रिस्तान नहीं है जो वहां जीवों को मारकर दफन करें। मनुष्य को सुई की नोख लगने पर वेदना होती है तो दूसरी तरफ दूसरे जीव के गले पर छुरी घुमाते हैं। उस जीव को कितना तकलीफ होता होगा। यह सोचना चाहिए। हिन्दू समाज में सत्संग की कमी हो रही है। जिस कारण ऐसा हो रहा है। संत, कथाकार भी पैसे के लिए भटक चुके हैं। बगैर पैसे के वे लोंगो को सत्संग से नहीं जोड़ रहे हैं। संत, महात्मा का जीवन सात्विक होना चाहिए। आगे कहा कि हिन्दू समाज को हिंसा के प्रति नफरत था। लेकिन सत्संग के अभाव में भटककर अहिंसा की राह पर चलने लगे हैं।
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